पूणे

21वीं सदी में भारत विश्व गुरु के रूप में उभरेगा:-प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड के विचार:

21वीं सदी में भारत विश्व गुरु के रूप में उभरेगा:-प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड के विचार:

एमआईटी डब्ल्यूपीयू ने स्वामी विवेकानंद की 163वीं जयंती मनाई

 

पुणे,: 21वीं सदी में भारत माता ज्ञान का मंदिर और विश्व गुरु बनकर उभरेगी, स्वामीजी का यह वचन सच में हो रहा है. 1893 में स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म सम्मेलन में भविष्यवाणी की थी कि विज्ञान और अध्यात्म का सामंजस्य विश्व में सुख, शांति और खुशियाँ लाएगा. उन्होंने दुनिया को धर्म, प्रार्थना और ध्यान के विषय पर गहन ज्ञान प्रदान किया. इसलिए, सभी को उनके आदर्श का अनुसरण करना चाहिए.” ये विचार एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने व्यक्त किए.

भारत के महान सपूत स्वामी विवेकानंद की 163वीं जयंती और युवा दिवस के अवसर पर मायर्स एमआईटी विश्व शांति विश्वविद्यालय और विश्व शांति केंद्र ( आलंदी,) मायर्स एमआईटी पुणे ने विश्वविद्यालय में भारतीय अस्मिता और ज्ञान को जागृत करने के लिए इस कार्यक्रम को बड़े उत्साह के साथ मनाया. इस समय प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड बोल रहे थे.

 

इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक डॉ. संजय उपाध्ये, एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम. चिटणीस, प्र कुलपति डॉ. मिलिंद पांडे, डॉ. प्रियंकर उपाध्याय, डा. महेश थोरवे, डॉ. मिलिंद पात्रे और

एमआईटी डब्ल्यूपीयू के छात्र परिषद के पृथ्वीराज शिंदे उपस्थित थे.

डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, “एक मजबूत दिमाग एक मजबूत और स्वस्थ शरीर में रहता है. एक बार जब छात्र किसी विचार को स्वीकार कर लेते हैं, तो अपना जीवन उसके लिए समर्पित कर दो. लगातार उस पर ध्यान केंद्रित करें. अपने शरीर के हर अणु को उस विचार से भर दे.

डॉ. संजय उपाध्ये ने कहा, “सिर्फ जयंती मनाना ही काफी नहीं है, बल्कि उस व्यक्ति द्वारा कहे गए शब्दों को आचरण में उतारना भी जरूरी है. विचारों का प्रवाह निरंतर बहते रहना चाहिए. अपने भीतर विवेक को जागृत करना बहुत जरूरी है.”

डॉ. आर.एम. चिटनीस ने कहा, “स्वामी विवेकानंद शब्द का विस्तार बहुत सुंदर है. विवेक का अर्थ है ज्ञान के साथ जीना और आनंद का अर्थ है अपने भीतर खुशी खोजना. जीवन में चरित्र सबसे महत्वपूर्ण चीज है और इसे युवाओं को बनाए रखना चाहिए. शिक्षा जीवन में प्रकाश लाती है. व्यक्ति का जीवन नैतिक मूल्यों पर आधारित होता है, अतः “अभ्यास करके जीवन जियें.

 

 

डॉ. महेश थोरवे ने कहा, “केवल 39 वर्ष जीवित रहने वाले स्वामी विवेकानंद द्वारा किया गया कार्य अद्वितीय है. वे सभी धर्मों को समाहित करते थे, शक्ति, करुणा और चरित्र पर जोर देते थे. आज डॉ. विश्वनाथ कराड उनके जीवन को साक्षात जी रहे हैं. उनके आदर्शों को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया. जहाँ शिकागो में “स्वामीजी ने अपना भाषण उसी स्थान पर डॉ. कराड ने सैकड़ों वर्ष बाद भाषण देकर उनके विचारों को पुनर्जीवित किया.

इस अवसर पर छात्र पार्थ भालेराव, आर्य केदार, वेदांग अडसरे, पीयूष पाटिल, तिवारी, रुद्र बुराडे, दिव्या,थोरवे, मुक्ता पाटिल और ऋग्वेद पंडित ने स्वामी विवेकानंद के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए.

इस अवसर पर एमआईटी डब्ल्यूपीयू ने घोषणा की कि डेढ़ लाख छात्रों को स्वामी विवेकानंद की पुस्तकें उपहार में दी जाएंगी.

डॉ. मिलिंद पात्रे ने स्वागत भाषण दिया.डॉ. मिलिंद पांडे ने सभी का आभार माना.

 

 

 

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