
स्पाईन की दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त 8 महिने के बच्चेपर केईएम हॉस्पिटल में सफलतापूर्वक उपचार
पुणे: स्पाईन की दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त 8 महिने के बच्चेपर वरिष्ठ न्युरोेसर्जन डॉ.नितीन लोंढे इनके नेतृत्व में केईएम हॉस्पिटल पुणे की डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक शस्त्रक्रिया की.इस बच्चे को (लडकी) लेहमन सिंड्रोम अथवा लॅटरल मेंनिंगोसेल सिंड्रोम (एलएमएस) यह दुर्लभ अनुवंशिक संयोेजि उतकों की बीमारी होने का पता चला. इसपर उपचार के तौरपर एकही समय स्पाईन और पेटपर शस्त्रक्रिया की गई.उपचार करनेवाले डॉक्टरों की टीम में डॉ.नितीन लोंढे के साथ बालरोग शल्यचिकित्सक डॉ.अभिजित बेणारे,पेडियाट्रिक न्युरोलॉजिस्ट डॉ.अभिजित बोत्रे और भूलतज्ञ डॉ.शैलेंद्र कानडे इनका समावेश था.
इसके बारे में अधिक जानकारी देेते हुए केईएम हॉस्पिटल के न्युरोेसर्जन डॉ.नितीन लोंढे ने कहा की, लेहमन सिंड्रोम अथवा लॅटरल मेंनिंगोसेल सिंड्रोम (एलएमएस) यह अत्यंत दुर्लभ व अनुवंशिक स्थिती हैंे,जिसका परिणाम बच्चे की स्पाईन और नर्व्हज के वृध्दीपर होता है. सामान्यरूप से यह विकृती पीठपर दिखाई देती है,लेकिन इस दुर्लभ स्थिती में यह विकृती पीठ के अंदर के बाजू में अथवा पेट में भी बढती हुई दिखाई गई. इसका निदान केवल योग्यरूप से जाँचद्वारा किया जा सकता है. इस बच्चे का एक पैर कमजोर लग रहा था,उसके बाद एमआरआय जाँच में इस दुर्लभ स्थिती का निदान हुआ.ऐसी स्थिती में दवाईयाँ यह इलाज नहीं था बल्कि यह रचना में बिघाड होने से इसपर शस्त्रक्रिया यही एक विकल्प था. कुछ बच्चों में कम उम्र में ही इसका परिणाम दिखने लगता है,तो कुछ बच्चों में केवल 10-12 साल के होनेपर भी यह परिणाम दिखने लगता है.
यह शस्त्रक्रिया करने के लिए डॉ.नितीन लोंढे इनके सहयोगी के तौरपर केईएम के बालरोग शल्यचिकित्सक डॉ.अभिजित बेणारे
उपस्थित थेे. बच्चे के स्पाईन की विकृती 5बाय5 सेमी और पेट की विकृती 5बाय2 सेमी इतनी एक गाँठ के रूप में थी. स्पाईन की गाँठ यह डॉ.लोंढे इन्होंने निकाली और डॉ.बेणारे इन्होंने पेट की गाँठ निकाली. यह शस्त्रक्रिया जटील थी और यह 5 घंटोंतक चली.
इस शस्त्रक्रिया में कई जोखीम थी. बच्चा छोटा होने के कारण ज्यादा रक्तस्त्राव वह सह नहीं सकता था.इसके अलावा शरीर में छेद करते हुए गाँठ निकालने के लिए नाजूक नर्व्ह व अन्य अवयवों को धक्का न लगे इसकी चिंता करना महत्त्वपूर्ण था. इन सारे बातों के लिए न्युरोमॉनिटरिंग और मायक्रोस्कोप जैसे तांत्रिक साहाय्य लिया.
डॉ.लोंढे ने आगे कहा की, कुछ स्थिती में जैसे उम्र बढती है, वैसे फिर से शस्त्रक्रिया की जरूरत पड सकती है. लेकिन इस बच्चे के बारें में सारी विकृती निकाली गई है.लेकिन उम्र बढने के बाद दोबारा शस्त्रक्रिया की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता इसलिए इस बच्चे को नियमित निगरानी की जरूरत है. बच्चा अब सामान्य अवस्था में है और माँ के कंधेपर खेल रहा है.
डॉ.लोंढे ने आगे कहा की, इस प्रकार की विकृतीयों का समयपर निदान और उपचार न करनेपर शरीर के नीचले हिस्से के अवयवोंपर नियंत्रण रखनेवाले नसों में बिघाड हो सकता है. उपलब्ध शास्त्रीय साहित्य व नियतकालीकाओं की संदर्भीय स्त्रोत के अनुसार ऐसा प्रतित होता है की, लेहमन सिंड्रोम अथवा लॅटरल मेंनिंगोसेल सिंड्रोम यह अत्यंत दुर्लभ स्थिती है. भारत में इसके पहले ऐसे प्रकार की 12 घटनाएँ दर्ज की गई है.