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अजित पवार क्यों लगा रहे ठहाके, हंसी में छिपे सियासी खेल को समझिए

अजित पवार क्यों लगा रहे ठहाके, हंसी में छिपे सियासी खेल को समझिए

अजित पवार महाराष्ट्र में छठी बार डिप्टी सीएम की शपथ लेने वाले हैं। विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद अजित पवार महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसे नेता बनकर उभरे, जिन्होंने परिवार और पार्टी में बने हर चक्रव्यूह को तोड़ा। अब उनके पास अगले पांच साल तक सत्ता की ताकत भी होगी और पार्टी का नेतृत्व भी बना रहेगा।

 

मुंबई : महाराष्ट्र में शपथ ग्रहण समारोह में अब सिर्फ चंद घंटे बाकी हैं, मगर एकनाथ शिंदे को लेकर सस्पेंस बरकरार है। बुधवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिंदे ने शपथ को लेकर स्पष्ट राय नहीं रखी। वहां मौजूद अजित दादा पवार ने साफ किया कि वह शिंदे शाम तक समझेंगे, मगर वह शपथ लेने वाले हैं। फिर शिंदे ने पलटवार करते हुए कहा कि अजित दादा को सुबह और शाम को शपथ लेने का अनुभव है। इस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में जोरदार ठहाके लगे। खुद अजित पवार भी खिलखिलाकर हंसते नजर आए। वह हल्के-फुल्के क्षणों में भी ऐसे मूड में कम नजर आते हैं। संजीदा दिखने वाले अजित पवार इतने खुश क्यों हैं? इसका जवाब विधानसभा चुनाव नतीजों में छिपा है, जिसके बाद से अजित पवार के दोनों हाथों में लड्डू है और इस कारण वह बदले-बदले नजर आ रहे हैं। पिछले दिनों वह रोहित पवार से भी ठिठोली करते दिखे थे।
पांच साल के लिए शरद पवार की ओर निश्चिंत हुए अजित पवार
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रिजल्ट ने अजित पवार की राजनीति को संजीवनी दे दी। लोकसभा चुनाव में जब वह चाचा शरद पवार से अलग होकर मैदान में उतरे तो उन्हें तगड़ी शिकस्त मिली थी। पांच उम्मीदवारों में से सिर्फ एक को जीत मिली। पूरी ताकत झोंकने के बाद भी बारामती में उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार चुनाव हार गईं। फिर सारा दारोमदार विधानसभा चुनाव पर टिक गया। उनके चाचा शरद पवार को अघाड़ी में 80 सीटें मिलीं, जबकि अजित पवार को महायुति के बंटवारे में 59 सीटें ही दी गईं। अगर शरद पवार चुनाव जीत जाते तो अजित पवार की राजनीति का हाशिये पर जाना तय था। चुनाव में बारामती समेत 41 सीटें जीतकर अजित पवार ने अपनी पार्टी एनसीपी को मजबूत कर लिया। दूसरी बार हुई पारिवारिक लड़ाई में वह अपने चाचा पर भारी पड़े।
सत्ता के साथ फलती-फूलती है एनसीपी, पवार की पावर भी बढ़ेगी
एनसीपी महाराष्ट्र की ऐसी पार्टी है, जिसका वजूद सत्ता पर टिकी है। शरद पवार के नेतृत्व में भी पार्टी 15 साल तक कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र की सत्ता में रही। पार्टी के अधिकतर बड़े नेता मंत्री बनते रहे। एनसीपी के भीतर नेतृत्व का सेहरा भी सत्ता दिलाने वाले के सिर ही बंधता रहा। शरद पवार इस फेरबदल के बूते ही मराठा राजनीति के चाणक्य कहलाते रहे। अब शरद की पार्टी एनसीपी-एसपी सिर्फ 10 सीटों पर सिमट चुकी है और अजित सत्ता के हिस्सेदार हैं। उनके साथ 10 विधायक भी मंत्री बनेंगे। उनके लिए अगले पांच साल तक इस ताकत के भरोसे एनसीपी को एकजुट रखने की संभावना भी बढ़ गई है। उन्हें पार्टी के अंदर भी चुनौती नहीं जा सकती है। उनके पास एक राज्यसभा सांसद बनाने की ताकत भी है। महायुति के पार्टनर होने के कारण विधान परिषद में भी उन्हें हिस्सेदारी मिलेगी। शरद अगर अब और कमजोर पड़े तो अजित पवार उनके उत्तराधिकारी बन जाएंगे।

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