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कनाडा में देह व्यापार में धकेली जा रही हैं भारतीय लड़कियां, पीएम ट्रूडो को सिर्फ दिखता है खालिस्तानी आतंकियों का उत्पीड़न’

कनाडा में देह व्यापार में धकेली जा रही हैं भारतीय लड़कियां, पीएम ट्रूडो को सिर्फ दिखता है खालिस्तानी आतंकियों का उत्पीड़न

एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर टोरंटो एरिया (जीटीए) के हालात ज्यादा खराब है क्योंकि भारतीय मूल की लड़कियों को पढ़ाई पूरी करने के लिए देहव्यापार के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. कनाडा के एलस्पेथ हेवर्थ सेंटर फॉर विमेन (ई.एच.सी.एफ.डब्ल्यू.) की कार्यकारी निदेशक सुंदर सिंह इस बात का खुलासा पिछले कई साल से करती आ रही हैं, लेकिन ट्रूडो सरकार को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है.

 

चंडीगढ़. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कथित वोट बैंक की राजनीति को लेकर खालिस्तानी आतंकी हरदीप निज्जर की हत्या को लेकर खूब बवाल मचा रखा है. जबकि उनको पिछले कई साल से कनाडा में उन भारतीय मूल की लड़कियों की पीड़ा बिलकुल महसूस नहीं हो रही है, जो अपनी देह बेचकर पढ़ाई का खर्च उठा रही हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर टोरंटो एरिया (जीटीए) के हालात ज्यादा खराब है क्योंकि भारतीय मूल की लड़कियों को पढ़ाई पूरी करने के लिए देहव्यापार के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. कनाडा के एलस्पेथ हेवर्थ सेंटर फॉर विमेन (ई.एच.सी.एफ.डब्ल्यू.) की कार्यकारी निदेशक सुंदर सिंह इस बात का खुलासा पिछले कई साल से करती आ रही हैं, लेकिन ट्रूडो सरकार को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है. शायद यह मुद्दा वोट बैंक से बिकुल जुड़ा नहीं है. यहां अहम बात यह है कि यौन उत्पीड़न की शिकार हो रही यह अधिकांश भारतीय मूल की लड़कियां पंजाब से हैं.

अकाल तख्त से भी अपील की ईएचसीएफडब्ल्यू ने 
हैरत की बात तो यह है कि इन लड़कियों को यौन उत्पीड़न की दलदल बाहर निकालने के लिए ईएचसीएफडब्ल्यू ने हाल ही अकाल तख्त के जत्थेदार से मामले में संज्ञान लेने की अपील है और लड़कियों की आर्थिक मदद करने की गुहार लगाई है, जबकि अकाल तख्त भी निज्जर की हत्या के कारणों में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है. सुंदर सिंह ने कहा कि हमने कुछ साल पहले कुछ गुरुद्वारों से संपर्क कर उनसे अपने वित्तीय संसाधनों से हमारे प्रयासों में योगदान देने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. वह इस सुझाव पर सहमत हुईं कि पंजाबी छात्रों की दुर्दशा को अकाल तख्त जत्थेदार के संज्ञान में लाने की जरूरत है.

बढ़ रहे हैं गर्भपात के मामले
भारत के छात्र और छात्राएं ग्रेटर टोरंटो एरिया (जीटीए) के दलालों और ड्रग डीलरों की गिरफ्त में हैं. इस अपराध में कोई और नहीं भारतीय-कनाडाई समुदाय के ही लोग शामिल हैं. बीते साल अगस्त में भारतीय मूल की 18 साल की एक लड़की को तीन लोगों ने बंदी बना लिया था, जो ऑनलाइन विज्ञापनों के जरिए उससे जबरन देह व्यापार करवा रहे थे. तीनों को बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इस घटनाक्रम के बाद भारतीय मूल की लड़कियों के यौन शोषण के खुलासे होने लगे. मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे भारतीय-कनाडाई सामाजिक कार्यकर्ता स्वीकार करते हैं कि जीटीए में भारतीय छात्राओं में गर्भपात करवाने वाली छात्राओं की संख्या में वृद्धि की भी खबरें हैं. कनाडा की एक मीडिया रिपोर्ट में ब्रैम्पटन की रहने वाली इंडो-कनाडाई एक बुजुर्ग ने इस बात का खुलासा किया था कि उनके परिवार की एक परिचित नर्स ने बताया था कि वह हर महीने 10-12 गर्भपात करती है जिसमें भारतीय छात्राएं शामिल होती हैं.

लड़कियां कैसे स्वेच्छा से सेक्स पर होती हैं मजबूर
सुंदर सिंह का कहना है कि भारतीय छात्राएं अपनी वित्तीय कठिनाइयों के कारण भी इस रास्ते पर चल रही हैं. दूसरा भारत में इन लड़कियों को अनजाने में भयावह स्थित में धकेल रहे हैं. हालांकि भारत के अमीर वर्ग की लड़कियों के साथ ऐसा नहीं है. वह कहती हैं कि माता पिता चाहते हैं कि किसी तरह उनकी लड़की कनाडा पहुंच जाए, जिससे वह अपने पूरे परिवार का खर्च वहन कर सके. इसके लिए वे कर्ज लेकर लड़कियों को कनाडा भेज देते हैं और उनकी प्रथम वर्ष तक की पढ़ाई की फीस मैनेज कर लेते हैं. इसके बाद इन लड़कियों को कनाडा में खुद को संभालने के लिए छोड़ देते हैं. सुंदर सिंह का तर्क है कि स्वेच्छा से देह व्यार करने का यह एक बड़ा कारण है. इस तरह एक लड़की एक आदमी की सेवा करके शुरू करती है, और फिर दूसरे ओर बहुत पैसा कमाती है. उसे यह आर्थिक रूप से बहुत आकर्षक लगता है और उसके साथ रहने वाले उसके दोस्त भी उसका अनुसरण करते हैं.

किराए के एवज में यौन शोषण
सुंदर सिंह ने रिपोर्ट में कहा है कि यह ब्रैम्पटन से टोरंटो, वॉन और अन्य जगहों तक फैल रही है. ऐसे बहुत से केंद्र हैं जो मसाज और ब्यूटी पार्लर की आड़ में यह देह व्यापार कर रहे हैं. जमींदार कई छात्राओं को अपने तहखाने में समझौतों के तहत रहने की अनुमति देते हैं. कई छात्राओं के यौन शोषण की शुरुआत जमींदारों से होती है. लड़कियां जमींदारों के साथ समझौता करती हैं इसलिए उन्हें किराया नहीं देना पड़ता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत के अमीर घरानों के युवओं ने कनाडा आकर देहव्यापार को अपना व्यावसाय बनाना शुरू कर दिया है. पंजाब में सुपर अमीर और शीर्ष अधिकारियों के बेटे छात्र बनकर आ रहे हैं और कनाडा में देहव्यापार का धंधा अपना रहे हैं. बड़े-बड़े मकान किराए पर लेकर उनके पास लड़कियों को लुभाने के लिए बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज कारें हैं. सुंदर सिंह का अनुमान है कि एक दलाल साल में एक लड़की से 230,000 डॉलर तक कमा सकता है.

 

 

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